Discover of Trust

सिद्धार्थ सहायता ट्रस्ट के खोज का मुख्य कारण
सिद्धार्थ सहायता ट्रस्ट के द्वारा जनसंख्या वृद्धि एवं कन्या भ्रूण हत्या होने के कुछ प्रमुख कारणों का उल्लेख निम्नलिखित किया गया है-
1. संतान उत्पत्ति करना मानव का ऐच्छिक स्वभाव है, जो अनवरत चलता रहा और भविष्य में चलता रहेगा। जिस समाज अथवा देश में पृतसत्तात्मक परिवार है उस परिवार में पुत्र का होना आवश्यक माना गया है मान्यताओं प्रथाओं के अनुसार परिवार में वंश चलाने पित्ऋण से मुक्ति पाने,पिता के चिता को मुखाग्नि देकर स्वर्ग पहुंचाने पूर्वजों के आत्माओं को मोक्ष दिलाने याद तोहार उसमें जैसा रक्षाबंधन, तीज आदि अनेक पर्व एवं कर्म-कांड के लिए परिवार में पुत्र का होना नितांत आवश्यक माना गया है। इस प्रकार परिवार में पुत्र प्राप्त करने के लिए माताएं गर्भ धारण करती हैं, क्यों तक गर्भ धारण करने के अज्ञानता एक पुत्र के इंतजार में एक नहीं दो नहीं तीन नहीं बल्कि दस से बारह कन्याएं जन्म ले लेती हैं अनचाहे संतान की जनसंख्या वृद्धि एवं कन्या भ्रूण हत्या का मूल कारण है।
2. इस प्रकार जिस देश एवं समाज में यार है वहां परिवार में कन्या को प्रधान माना गया है क्योंकि कन्या ही पृष्ठ की मूल है कन्या घर की लक्ष्मी है जगत जननी है वही कन्या कभी ना कभी बेटी बहन साथ आदि रूपों में संबंध बनाते हैं कन्या नहीं तो दृष्टि नहीं आप जैसी मान्यताएं हैं इस प्रकार कन्या प्राप्त करने की भावनाओं से एक कन्या के इंतजार में दस-बारह पुत्र जन्म ले लेते हैं नहीं यही अनचाहे संतानों की जनसंख्या वृद्धि एवं भ्रूण हत्या का मुख्य कारण है।
3.इसी प्रकार पुत्र एवं पुत्री और के चाहत में मानव द्वारा भ्रूण हत्या जैसा एक जघन्य अपराध किया जा रहा है जिसे आधुनिक युग में कंप्यूटर युक्त मशीनों से 3 माह से 4 माह के भीतर यह पता लगाया जा रहा है कि गर्भ में पल रहा संतान पुत्र या पुत्री यदि उस परिवार के चाहत के विपरीत संतान है तो उसे गर्भ में यह मार दिया जाता है इस दर्दनाक घटना से पूरा विश्व प्रभावित है।
4. समाज के उन सभी परिवारों में पुत्र की चाहत और बढ़ जाती है जब संतान उत्पन्न करने वाले माता-पिता को परिवार के अन्य सदस्यों एवं आसपास पड़ोस के लोगों द्वारा भिन्न भिन्न प्रकार के ताना बोली सुनना पड़ता है।









  संकरण का वर्गीकरण




सिद्धार्थ सहायता ट्रस्ट की खोज का विवरण

* मानव एक बुद्धिजीवी प्राणी है। जब जब मानव को कोई समस्या हुई है तब उस समय की खोज उसकी आवश्यकता बन जाती है। आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। प्राचीन काल से आधुनिक काल तक पूरे विश्व में कई महान वैज्ञानिकों ने मानव के ऊपर खोज व रिसर्च किया है। महान वैज्ञानिक स्टार्सबर्गर और वाल्डेयर ने मानव के अंदर गुणसूत्र की सफल खोज किए हैं। जिस खोज में मानव के अंदर कुल 23 जोड़ा गुणसूत्र पाया जाता है जिसमें 22 जोड़ा गाय कायिका अथवा दैहिक गुणसूत्र होता है। केवल एक जोड़ा लिंग निर्धारण करने वाले एलोसोम गुणसूत्र होता है। यह एलोसोम गुणसूत्र नर अथवा मादा में अलग-अलग होते हैं। नर में X और Y गुणसूत्र पाया जाता है और और मादा में X और X गुणसूत्र पाया जाता है। जब नर और मादा आपस में संबंध बनाते हैं तब जो युग्मक बनता है उसी से पुत्र एवं पुत्री के जन्म का निर्धारण होता है।