अपुत्राणां न सन्ति लोकाः सुभा: - संतान हीन संसार में शुभ नहीं माने जाते इस रूढ़वादी मिथक को दूर करने के लिए सिद्धार्थ सहायता ट्रस्ट ने एक मुहिम चलाई है जिसका सुखद परिणाम भी मिल रहा है कई दर्जन ऐसे लोगों की सूची है जिनको इस ट्रस्ट ने मनोवांछित लाभ दिया है अधिक पुत्रियां या मात्र पुत्रों की ज्यादा होना ही संतुलित परिवार संचालन का मापदंड नहीं हो सकता इसके लिए मनोवांछित लाभ मिलना जरूरी है जिसके लिए ट्रस्ट के विद्वान डॉक्टर जिन का ज्ञान शोध पूर्णरूपेण प्राकृतिक है आप इसका लाभ ले सकते हैं
विशेषकर भारत का समाज त्योहारों एवं पर्वों का समाज है इसमें कुछ त्यौहार बिना बेटियों के संभव नहीं है ऐसी दशा में यदि परिवार मात्र पुत्रों का ही है तो वह रिक्तता बहुत कष्टदाई है इस लिए हर परिवार में बेटी और एक बेटे का होना नितांत आवश्यक है सभी प्रिय देशवासियो से अपील है आइये इस पारिवारिक कमी को पूरा करने के लिए हम सिद्धार्थ सहायता ट्रस्ट जुड़े आपका-विनोद कुमार गौड़ एडवोकेट -सिद्धार्थ सहायता ट्रस्ट सचिव- जय सहायता जय सिद्धार्थ
सिद्धार्थ सहायता ट्रस्ट जिस भूमि के अन्न जल पवन से पोषित होकर हमारा शरीर बना है उस समाज के सुख दुख की चिंता करना भी मानव का परम धर्म है आज समाज मे ब्याप्त तमाम ऐसी समस्याए है जैसे परिवारों में एक ही लिंग की अधिकता,बेरोजगारी,आत्मिक खुशी इत्यादि इन समस्याओ को ध्यान में रखते हुए सिद्धार्थ सहायता ट्रस्ट ने एक मिशन शुरू किया है जिसमे वैज्ञानिकता को लिए हुए एक प्राकृतिक उपाय भी है अनगिनत लोगो ने इसमें लाभ लिया ही इस यज्ञ कार्य मे आप सब लोग जरूर जुड़े एवं समाज सृजन में अपना अमूल्य योगदान दे आपका- मुसाफ़िर सिद्धार्थ सहायता ट्रस्ट-कोषा अध्यक्ष जय सहायता जय सिद्धार्थ
कुछ ऐसे भी परिवार हैं जहां पुत्रियां ही है वह भी सामाजिक संतुलन कायम करने के लिए अच्छा नही है कहते है कुछ ऐसी विधाये है जिनके प्रयोग से ये असमानता अवश्य ही दूर होगीपुत्रो की कीमत परिवार में पुत्रियों की तरह ही है किंतु आश्चर्य तब होता है जब कन्या भूर्ण हत्या कराने वाली महिला नर्स महिला डॉक्टर महिला एवं उसे प्रेरित करने वाली भी महिला ही होती है नजर सबके पास है किंतु नेतृत्व किसी -किसी के पास होता है इस पारिवारिक असमानता एवं लिंग भेद इससे उत्पन्न होने वाली छिपी बेरोजगारी को दूर करने के लिए इस ट्रस्ट ने वीणा उठाया है कहते है- ||माँ की औकात बस इतनी है कि माँ न होती तो हम नही होते|| आपका -रामचंदर चौहान उपसचिव सिद्धार्थ सहायता ट्रस्ट जय सहायता जय सिद्धार्थ
देश का विकास मात्र कल कारखानों फैक्ट्री एवं भौतिक संसाधनों में ही संभव नही है उसमें उन तत्वों पर भी सूक्ष्म दृष्टिकोण रखनेकी आवश्कता है जिनसे समाज आदर्श नागरिको की पाठशाला बन सके आज के इस युग में सामाजिक पर्यावरण को बचाए रखने के लिए यह नितांत आवश्यक है की बढ़ती जनसंख्या कन्या भ्रूण हत्या बेरोजगारी लैंगिक असमानता भुखमरी पर्यावरण प्रदूषण इत्यादि समस्याओं को ध्यान में रखकर उनके निवारणार्थ जो हो सके उस पर सक्रिय होकर कार्य करना भी सजग समाज का दायित्व है पुत्र की चाहत में 7,8 पुत्रियो वाले परिवारों की भी अपनी अलग समस्या है उनके निदान हेतु भी यह ट्रस्ट बहुत ही प्रभावशाली कार्य कर रहा है आइए हम सभी लोग मिलकर इन उपरोक्त समस्याओं को दूर करने के लिए कार्य करें ताकि भारत पुनः अपनी बुलंदी प्राप्त कर सके
मानव सृष्टि की अनुपम निधि है इसका उद्देश्य केवल भोजन व मकान तक ही सीमित नही होना चाहिए अपितु अपनी विहंगम दृष्टि उन परेशानियों जैसे सामाजिक असमानता एवं स्वस्थ सभ्य समाज निर्माण हेतु होना चाहिए एक सभ्य समाज का निर्माण हो ताकि देश में उत्तम संस्कारवान नागरिको का सृजन हो उसी कड़ी में इस ट्रस्ट ने महत्वाकांक्षी मिशन चलाया है जिसे आशातीत सफलता मिलना शुरू हो गया है समस्त देशवाशियों से अपील है राष्ट्र हित मे अपना योगदान प्रदान करें ताकि ट्रस्ट के दृण संकल्प को पूरा किया जा सके आपका-नरेंद्र कुमार सदस्य